एक बार मेरे कुछ दोस्त घरपर आए थे, उन्होने मा-पिताजी को देखा तो दन्ग रह गए. मा ने उन्हे हमेशा की तरह चाय-नास्ता परोसा था और पिताजी वहीपे हमारे साथ बैठकर गपशप कर रहे थे. लेकिन मेरे दोस्तोका ध्यान ना तो पकोडोमे था और ना ही पिताजीकी बातोपे. वो बस टकटकी लगाए मेरी मा को देख रहे थे, यहा तक कि उनमेसे एक दोस्त तो सारी चाय अपने कपडेपर गिरा दी. हम सब हस पडे और फिर पिताजीने उसे अन्दर जाकर शर्ट बदलनेके लिए कहा. कुछ देर बाद हम मेरे घरसे निकल पडे और दूसरे दोस्त के घर गए.