Antarvasna – Hindi Stories – मेरी पत्नी को गुज़रे 5 साल हो गए थे, मैं अकेला था। पर वो भी तो अकेली थी, और उसकी एक जवान सी बेटी भी तो थी। दोनों को अपनी ज़िन्दगी में एक मर्द की तलाश थी। शायद वो मैं था. एक widow sex kahani पढ़िए..

Spread the love

sex story शुरू करता हूँ..
विनीता के पति की मृत्यु हुए करीब एक साल हो चुका था, उनका छोटा सा परिवार था, उनके कोई बच्चा नहीं हुआ तो उन्होने एक 10 वर्ष की एक लड़की गोद ले ली थी, उसका नाम स्नेहा था। वो भी अब जवानी की दहलीज पर थी अब। स्नेहा बड़ी मासूम सी, भोली सी लड़की थी।
मैं विनीता का सारा कार्य किया करता था। मैंने दौड़ धूप करके विनीता की विधवा-पैंशन लगवा दी थी। मुझे नहीं मालूम था कि विनीता कब मुझसे प्यार करने लगी थी। मैं तो उसे बस उसे आदर की नजर से ही देखा करता था।
एक बार अनहोनी घटना घट गई ! जी हाँ ! मेरे लिए तो वो अनहोनी ही थी।
मैं विनीता को सब्जी मण्डी से सब्जी दिलवा कर लौट रहा था तो एक अच्छे रेस्तराँ में उसने मुझे रोक दिया कि मैं उसके लिए इतना काम करता हूँ, बस एक कॉफ़ी पिला कर मुझे जाने देगी।
मैंने कुछ नहीं कहा और उस रेस्तराँ में चले आये। रेस्तराँ खाली था, पर फिर भी वो मुझे एक केबिन में ले गई। मुझे कॉफ़ी पसन्द नहीं थी तो मैंने ठण्डा मंगवा लिया। विनीता ने भी मुझे देख कर ठण्डा मंगवा लिया था।
मुझे आज उसकी नजर पहली बार कुछ बदली-बदली सी नजर आई। उसकी आँखों में आज नशा सा था, मादकता सी थी। मेज के नीचे से उसका पांव मुझे बार बार स्पर्श कर रहा था। मेरा कोई विरोध ना देख कर उसने अपनी चप्पल उतार कर नंगे पैर को मेरे पांव पर रख दिया।
मैं हड़बड़ा सा गया, मुझे कुछ समझ में नहीं आया। उसके पैर की नाजुक अंगुलियाँ मेरे पैर को सहलाने लगी थी। मुझे अब समझ में आने लगा था कि वो मुझे यहाँ क्यों लाई है। उसके इस अप्रत्याशित हमले से मैं एक बार तो स्तब्ध सा रह गया था, मेरे शरीर पर चींटियाँ सी रेंगने लगी थी। मुझे सहज बनाने के लिए विनीता मुझसे यहाँ-वहाँ की बातें करने लगी। पर जैसे मेरे कान सुन्न से हो गए थे। मेरे हाथ-पैर जड़वत से हो गए थे।
विनीता की हरकतें बढ़ती ही जा रही थी। उसका एक पैर मेरी दोनों जांघों के बीच आ गया था। उसका हाथ मेरे हाथ की तरफ़ बढ़ रहा था। तभी मैं जैसे नीन्द से जागा। मैंने अपना खाली गिलास एक तरफ़ रखा और खड़ा हो गया। विनीता के चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान तैर रही थी। मेरी चुप्पी को वो शायद मेरी सहमति समझ रही थी।
मुझे उसकी इस हरकत पर हैरानी जरूर हुई थी। पर घर पहुँच कर तो उसने हद ही कर दी। घर में मैं अपनी मोटर साईकल से सब्जी उतार कर अन्दर रखने गया तो वो मेरे पीछे पीछे चली आई और मेरी पीठ से चिपक गई।
“प्रकाश, देखो बुरा ना मानना, मैं तुम्हें चाहने लगी हूँ।” उसकी स्पष्टवादिता ने मेरे दिल को धड़का कर रख दिया।
“तुम मेरे मित्र की विधवा हो, ऐसा मत कहो !” मैंने थोड़ा परेशानी से कहा।
“बस एक बार प्रकाश, मुझे प्यार कर लो, देखो, ना मत कहना !” उसकी गुहार और मन की कशमकश को मैं समझने की कोशिश कर रहा था। उसे अब ढलती जवानी के दौर में किसी पुरुष की आवश्यकता आन पड़ी थी।
मुझे कुछ भी नहीं सूझ रहा था, वो मेरी कमर में हाथ डाल कर मेरे सामने आ गई। उसकी आँखों में बस प्यार था, लाल डोरे खिंचे हुए थे। उसने अपनी आँखें बन्द कर ली थी और अपना चेहरा ऊपर उठा लिया था। उसके खुले हुए होंठ जैसे मेरे होंठों का इन्तज़ार कर रहे थे।
मन से वशीभूत हो कर जाने मैं कैसे उस पर झुक गया। … और उसका अधरपान करने लग गया।
उसका हाथ नीचे मेरी पैन्ट में मेरे लण्ड को टटोलने लग गया। पर आशा के विपरीत वो तो और सिकुड़ कर डर के मारे छोटा सा हो गया था। मेरे हाथ-पैर कांपने लगे थे। उसकी उभरी जवानी जैसे मेरे सीने में छेद कर देना चाहती थी।
तभी जाने कहाँ से स्नेहा आ गई और ताली बजा कर हंसने लगी,”तो मम्मी, आपने मैदान मार ही लिया?”
विनीता एक दम से शरमा गई और छिटक कर अलग हो गई।
vidhwa beti widow sex kahani
दोनों माँ बेटी के साथ मैं..
“चल जा ना यहाँ से … बड़ी बेशर्म हो गई है !”
“क्या मम्मी, मैं आपको कहाँ कुछ कह रही हूँ, मैं तो जा रही हूँ … अंकल लगे रहो !” उसने मुस्करा मुझे आंख मार दी। मैं भी असंमजस की स्थिति से असहज सा हो गया था। एक बार तो मुझे लगा था कि स्नेहा अब बवाल मचा देगी और मुझे अपमान सहन करके जाना पड़ेगा। पर इस तरह की घटना से मैं तो और ही घबरा गया था। ये उल्टी गंगा भला कैसे बहे जा रही थी?
उसके जाते ही विनीता फिर से मुझसे लिपट गई। पर मेरी हिम्मत उसे बाहों में लेने कि अब भी नहीं हो रही थी।
“देखो ऑफ़िस के बाद जरूर आना, मैं इन्तज़ार करूंगी !” विनीता ने अपनी विशिष्ठ शैली से इतरा कर कहा।
“अंकल, मैं भी इन्तज़ार करूँगी !” स्नेहा ने झांक कर कहा। विनीता मेरा हाथ पकड़े बाहर तक आई। स्नेहा विनीता से लिपट गई।
“आखिर प्रकाश अंकल को आपने पटा ही लिया, मस्त अंकल है ना !” स्नेहा ने शरारत भरी हंसी से कहा।
‘अरे चुप, प्रकाश क्या सोचेगा !” विनीता उसकी इस शरारत से झेंप सी गई थी।
“आप दोनों तो बहुत ही मस्त हैं, मैं शाम को जरूर आऊंगा।” मुझे हंसी आ गई थी।
वो क्या कहती है इससे मुझे भला क्या फ़रक पड़ता था। पटना तो विनीता ही को था ना। मुझे अब सब कुछ जैसे आईने की तरफ़ साफ़ होता जा रहा था। विनीता मुझसे चुदना चाहती थी। दिन भर ऑफ़िस में मेरे दिल में खलबली मची रही कि यह सब क्या हो रहा है। क्या सच में विनीता मुझे चाहती है?
मेरी पत्नी का स्वर्गवास हुए पांच साल हो चुके थे, क्या यह नई जिन्दगी की शुरूआत है? फिर स्नेहा ऐसे क्यों कह रही थी ? कही वो भी तो मुझसे …… मैंने अपने सर को झटक दिया। वो भरी पूरी जवानी में विधवा नारी और कहाँ मैं पैतालीस साल का अधेड़ इन्सान … विनीता जैसी सुन्दर विधवा को तो को तो कई इस उम्र के साथी मिल जायेगे
शाम को मैं ऑफ़िस से चार बजे ही निकल गया और सीधे विनीता के यहाँ पहुंच गया।
“अंकल आप ? आप तो पांच बजे आने वाले थे ना !” स्नेहा ने दरवाजा खोलते हुए कहा।
“बस, मन नहीं लगा सो जल्दी चला आया।” अपनी कमजोरी को मैंने नहीं छिपाया।
“आईए, अन्दर आईए, अब बताईए मेरी मम्मी कैसी लगी?” उसकी तिरछी नजर मुझसे सही नहीं गई। मुझे शरम सी आ गई पर स्नेहा को कोई फ़र्क नहीं था।
“वो तो बहुत अच्छी है।” मैंने झिझकते हुए कहा।
“और मैं?” उसने अपना सीना उभार कर अपनी पहाड़ जैसी चूचियाँ दिखाई।
“तुम तो प्यारी सी हो !” उसके उभार देख कर एक बार तो मेरा मन ललचा गया स्नेहा एक दम से सोफ़े में से उठ कर मेरी गोदी में बैठ गई। आह ! इतनी जवानी से लदी लड़की, मेरी गोदी में ! मेरे शरीर में बिजलियाँ दौड़ गई। उसके कोमल चूतड़ मेरी जांघों पर नर्म-नर्म से लग रहे थे। बहुत सालों के बाद मुझे अपने अन्दर जवानी की आग सुलगती हुई सी महसूस हुई।
“मुझे प्यार करो अंकल … जल्दी करो ना, वर्ना मम्मी आ जायेगी।” स्नेहा बहुत बेशर्मी पर उतर आई थी। मैंने जोश में भर कर उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए और उनका रस पीने लगा। उसने अपनी आंखें बन्द कर ली। जाने कैसे मेरे हाथ उसके उभारों पर चले गये, उसके सीने के मस्त उभार मेरी हथेलियों में दब गये।
स्नेहा कराह उठी … सच में उसकी मांसल छातियाँ गजब की थी। एक कम उम्र की लड़की, जिस पर जवानी नई नई आई हो, उसकी बहार के क्या कहने।
“अंकल आप बहुत अच्छे हैं !” स्नेहा अनन्दित होती हुई कसमसाती हुई बोली।
“स्नेहा, तू तो अपनी मां से भी मस्त है।” मेरे मुख से अनायास ही निकल पड़ा।
‘अंकल, नीचे से आपका वो चुभ रहा है।” मैं जानबूझ कर लण्ड को उसकी चूत पर गड़ा रहा था।
“पूरा चुभा दूँ, मजा आ जायेगा !” मैंने अपना लण्ड और घुसाते हुए कहा।
“सच अंकल, जरा निकाल कर तो दिखाओ, कैसा है?” उसने आह भरते हुए कहा।
“क्या लण्ड ?…” मैंने भी शरम अब छोड़ दी थी।
“धत्त !” मेरी भाषा से वो शरमा गई।
“चल परे हट, यह देख !”
मैंने स्नेहा को एक तरफ़ हटा कर अपना लण्ड पैंट में से निकाल लिया। उस दिन तो डर के मारे सिकुड़ गया था पर आज नरम नरम चूतड़ो का स्पर्श पा कर, चूत की खुशबू पा कर कैसा फ़ड़फ़ड़ाने लग गया था। बहुत समय बाद प्यासा लण्ड पैंट से बाहर आकर झूमने लगा था।
“दैया री, इतना मोटा … मम्मी तो बहुत खुश हो जायेगी, देखना ! और ये काली काली झांटें !” स्नेहा लण्ड को सहलाकर बोल उठी।
“इतना मोटा… क्या तुमने पहले इतना मोटा नहीं देखा है?” मुझे शक हुआ कि इसे कैसे पता कि लण्ड के और भी आकार के होते हैं।
“कहाँ अंकल, वो पहले मम्मी के दो दोस्त थे ना, उनके तो ना तो मोटे थे और ना ही लम्बे !” वो अपना अनुभव बताने लगी।
“ओह …हो … भई वाह … कितनों से चुदी हो…?” मैंने उसकी तारीफ़ की।
“मैं तो पांच छः लड़कों से चुदी हूँ, और मम्मी तो पापा के समय में कईयों से चुदी हैं।” स्नेहा का सीना गर्व से चौड़ा हो गया।
“क्यों पापा कुछ नहीं कहते थे क्या ?” मैंने उससे शंकित सा होकर पूछा।
“नहीं, वो तो कुछ नहीं कर पाते थे ना, आपको तो पता है, कम उम्र में ही डायबिटीज से पापा की दोनों किडनियाँ खराब हो गई थी।”
“फिर तुम … ”
“मुझे तो पापा ने गोद लिया था, उस समय मैं दस साल की थी, पर मैंने मम्मी का पूरा साथ दिया है। इसमें मेरा भी फ़ायदा था।”
“क्या फ़ायदा था भला…?”
“मेरी भी चुदाई की इच्छा पूरी हो जाती थी, अब मम्मी को चुदते देख, मेरी चूत में आग नहीं लगेगी क्या?” उसने भोलेपन से कहा।
तभी बाहर खटपट की आवाज सुन कर स्नेहा मेरी गोदी से उतर कर भाग गई। मुझे सब कुछ मालूम हो चुका था। अब शरम जैसी कोई बात नहीं थी।
“आपकी बाइक देख कर मैं समझ गई थी कि आप आ गए हैं !” विनीता मुस्करा कर बाजार का सामान एक तरफ़ रख कर मेरे पास सोफ़े पर आ कर बैठ गई। मेरे मन में तो शैतान बस गया था। मैंने उसे तुरन्त अपने पास खींच लिया और उसकी चूचियाँ दबा दी। वो खिलखिला कर हंसने लगी।
“अरे हटो तो … ये क्या कर रहे हो?” उसने अपने हाथों को इधर उधर नचाया। फिर वो छटपटा कर मछली की भांति मुझसे फ़िसल कर एक तरफ़ हो गई। मैंने उस झपटते हुए उसे अपनी बाहों में उठा लिया। वो मेरी बाहों में हंसते हुए मुझसे छूटने की भरकस कोशिश करने लगी। स्नेहा कमरे में से बाहर आकर हमें देखने लगी।
“अंकल छोड़ना मत, खाट पर ले जा कर दबा लो मम्मी को !” उसके अपने खास अन्दाज में कहा।
“अरे स्नेहा, अंकल से कह ना कि छोड़ दे मुझे !” विनीता के स्वर में इन्कार से अधिक इककार था।
“हाँ अंकल चोद दो मम्मी को !” स्नेहा ने मुझे विनीता के ही अन्दाज में कहा।
“अरे चोद नहीँ, छोड़ दे रे राम !” कह कर विनीता मुझसे लिपट गई।
मैंने विनीता को बिस्तर पर जबरदस्ती लेटा दिया और उसकी साड़ी खींच कर उतार दी। उस स्वयं भी साड़ी उतरवाने में सहायता की। विनीता वासना में भरी हुई बिस्तर पर नागिन की तरह लोटती रही, बल खाती रही। मैंने उसे दबा कर उसके ब्लाऊज के बटन चट चट करके खोल दिये। दूसरे ही क्षण उसकी ब्रा मेरे हाथों में थी। उसके सुन्दर सुडौल उभार मेरी मन को वासना से भर रहे थे। तभी स्नेहा ने विनीता का पेटीकोट नीचे खींच दिया।
“अंकल, मम्मी की फ़ुद्दी देखो, जल्दी !” विनीता की रस भरी चूत को देख कर स्नेहा बोल उठी।
“ऐ स्नेहा, तू अब जा ना यहाँ से…” विनीता ने स्नेहा से विनती की।
“बिल्कुल नहीं … अंकल मम्मी की फ़ुद्दी में लण्ड घुसा दो ना !” स्नेहा बेशर्म हो कर मम्मी की चुदाई देखना चाहती थी। मैंने झट से अपनी पैन्ट और चड्डी उतार दी और विनीता को अपने नीचे दबा लिया। कुछ ही क्षणों में मेरा कड़क लण्ड उसकी चूत की धार पर कुछ ढूंढने की कोशिश कर रहा था। स्नेहा ने मेरी सहायता कर दी। मेरा लण्ड पकड़ कर उसने विनीता की गीली फ़ुद्दी पर जमा दिया।
“अंकल, अब मारो जोर से…” स्नेहा गौर से मेरे लण्ड को विनीता की चूत में घुसा कर देखने लगी।
“उईईई मां … मर गई…” लण्ड के घुसते ही विनीता की चीख निकल पड़ी।
“कुछ नहीं अंकल, चोद डालो, मम्मी तो बस यूं ही शोर मचाती है।” स्नेहा ने लण्ड को भीतर घुसते देख कर अपनी प्यारी सी योनि अपने हाथों से दबा डाली। मैंने अपना पूरा जोर लण्ड पर डाल दिया और लण्ड चूत में घुसता चला गया। विनीता के मुख से सिसकारियाँ निकलती चली गई।
मैंने विनीता को बिस्तर पर जबरदस्ती लेटा दिया और उसकी साड़ी खींच कर उतार दी। उस स्वयं भी साड़ी उतरवाने में सहायता की। विनीता वासना में भरी हुई बिस्तर पर नागिन की तरह लोटती रही, बल खाती रही। मैंने उसे दबा कर उसके ब्लाऊज के बटन चट चट करके खोल दिये। दूसरे ही क्षण उसकी ब्रा मेरे हाथों में थी। उसके सुन्दर सुडौल उभार मेरी मन को वासना से भर रहे थे। तभी स्नेहा ने विनीता का पेटीकोट नीचे खींच दिया।
“अंकल, मम्मी की फ़ुद्दी देखो, जल्दी !” विनीता की रस भरी चूत को देख कर स्नेहा बोल उठी।
“ऐ स्नेहा, तू अब जा ना यहाँ से…” विनीता ने स्नेहा से विनती की।
“बिल्कुल नहीं … अंकल मम्मी की फ़ुद्दी में लण्ड घुसा दो ना !” स्नेहा बेशर्म हो कर मम्मी की चुदाई देखना चाहती थी। मैंने झट से अपनी पैन्ट और चड्डी उतार दी और विनीता को अपने नीचे दबा लिया। कुछ ही क्षणों में मेरा कड़क लण्ड उसकी चूत की धार पर कुछ ढूंढने की कोशिश कर रहा था। स्नेहा ने मेरी सहायता कर दी। मेरा लण्ड पकड़ कर उसने विनीता की गीली फ़ुद्दी पर जमा दिया।
“अंकल, अब मारो जोर से…” स्नेहा गौर से मेरे लण्ड को विनीता की चूत में घुसा कर देखने लगी।
“उईईई मां … मर गई…” लण्ड के घुसते ही विनीता की चीख निकल पड़ी।
“कुछ नहीं अंकल, चोद डालो, मम्मी तो बस यूं ही शोर मचाती है।” स्नेहा ने लण्ड को भीतर घुसते देख कर अपनी प्यारी सी योनि अपने हाथों से दबा डाली। मैंने अपना पूरा जोर लण्ड पर डाल दिया और लण्ड चूत में घुसता चला गया। विनीता के मुख से सिसकारियाँ निकलती चली गई। मैंने देखा तो स्नेहा भी अपने कपड़े उतार कर अपनी चूचियाँ मल रही थी, एक अंगुली अपनी चूत में डाल रखी थी और आहें भर रही थी। मेरा मन तो स्नेहा को देख कर भी ललचा रहा था। साली भरपूर जवानी में अभी-अभी आई थी … मन कर रहा था उसे भी पटक कर चोद डालूँ।
“स्नेहा अब तो तू जा ना !”
‘मम्मी, अब चुद भी लो ना, मुझे मजा आ रहा है। अंकल, भचीड़ लगाओ ना … मेरी मां को चोद दो ना !”
“अच्छी तरह से देख ले स्नेहा ! अपनी मां को चुदते हुये, है ना मस्त चूत तेरी मां की !”
मैंने विनीता को चोदना आरम्भ कर दिया था। वो स्नेहा को देख कर शरमा रही थी। इसके विपरीत स्नेहा बेशर्मी से मेरे सामने खड़ी हो कर अपनी चूत खोल कर अपनी दो अंगुलियों को चूत में डाल कर अन्दर-बाहर कर रही थी। कभी-कभी जोश में आकर अपनी अंगुली में थूक लगा कर मेरी गाण्ड में भी घुसा देती थी।मुझे भी वो मस्ती दे रही थी। मुझसे स्नेहा का सेक्सी रूप नहीं देखा गया तो मैंने उसे विनीता के पास लेटा दिया और विनीता की चूत से लण्ड निकाल कर स्नेहा की चूत में डाल दिया।
“प्रकाश पहले मुझे चोदो…” विनीता मन ही मन जल उठी।
“नहीं अंकल, मुझे चोदो … जानदार लण्ड है … चोदो मुझे …अह्ह्ह्ह्ह !” स्नेहा मचल उठी।
मैं बारी-बारी से दोनों की चूत में लण्ड पेलने लगा। स्नेहा की चूचियाँ कड़ी और मांसल थी। जबकि विनीता की छातियां उम्र के हिसाब से थोड़ी सी ढली हुई थी, पर थी मस्त। कुछ ही देर में मेरा वीर्य छूट गया पर विनीता और स्नेहा प्यासी रह गई थी। मैं दोनों को चोद कर हांफ़ने लग गया था। पसीने पसीने हो गया था। दोनों मुझे ललचाई नजरों से देखने लगी थी। विनीता ने स्नेहा को कुछ इशारा किया और फिर वो अन्दर चली गई। स्नेहा मुझसे छेड़ खानी करती रही और उसने मुझे फिर से उत्तेजित कर दिया। स्नेहा ने जल्दी से अपने आप को सेट किया और अपनी टांगें ऊपर उठा ली। मैंने तुरन्त आव देखा ना ताव, स्नेहा की चूत में लण्ड पेल दिया और फ़टाफ़ट धक्के लगाने लगा। स्नेहा तो वैसे ही चुदने के लिए प्यासी हो रखी थी, सो कुछ ही देर में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।
फिर स्नेहा अन्दर जाकर विनीता को बुला लाई। वो तो अभी तक नंगी ही थी, सीधे ही वो बिस्तर पर चढ़ गई और अपने चूतड़ ऊपर करके घोड़ी बन गई।
“प्यारी सी गाण्ड है !इसे ही चोद दूं क्या ?” मैंने उसकी प्यारी सी गाण्ड देख ललचाई नजरों से देखा।
“ऊँ हु … पहले चूत…” विनीता ने पहले अपनी तड़पती चूत को प्राथमिकता दी।
“ओह … तो ये लो !” मैंने अपना कड़क लण्ड हिलाया और उसे उसकी चूत में घुसा डाला। स्नेहा मेरे पीछे बैठी मेरी पीठ सहलाने लगी। जब लण्ड चूत में घुस गया तो मैंने चोदने की रफ़्तार तेज कर दी। स्नेहा मेरे चूतड़ों को दबाने और मलने लगी। मेरी उत्तेजना और बढ़ने लगी। वो नीचे से मेरी गोलियाँ पकड़ कर धीरे धीरे मलने और खींचने लगी। मैंने जोश में स्नेहा के स्तन थाम लिए और स्नेहा ने विनीता के !
स्नेहा मुझे चूमती भी जा रही थी। बीच में उसने विनीता की गाण्ड में अंगुली भी कर दी। विनीता चरम सीमा पर पहुँच गई थी। अन्त में विनीता एक चीख मारी और झड़ने लगी। मुझे निराशा हुई कि अब मेरा क्या होगा ?
स्नेहा ने विनीता की गाण्ड की ओर इशारा किया। मैंने बिना समय गंवाए लण्ड को विनीता के गाण्ड की छेद पर रख दिया। स्नेहा ने उसकी गाण्ड हाथों से खोल दी। गाण्ड का छेद खुल कर बड़ा हो गया। मैंने अपना लाल सुपारा उस छेद में आराम से डाल दिया। मैंने अपनी रही सही कसर उसकी गाण्ड में निकाल दी। खूब जोर से पेला उसकी गाण्ड को … अपना सारा रस उसकी गाण्ड ने भर दिया।
हम तीनों अब बिस्तर पर आराम से अधलेटे पड़े थे, स्नेहा कह रही थी,”अंकल, प्लीज, जब आप फ़्री हों तो आ जाया कीजिये… हम दोनों आपका इन्तज़ार करेंगी।”
“स्नेहा, इनको तो अब आना ही पड़ेगा ना, जब भी आयेंगे, हम दोनों को चोद जायेंगे, है ना ?” विनीता ने कसकती आवाज में कहा।
“तो अब मैं जाता हूँ, विनीता की इच्छा पहले है … इनकी जब इच्छा हो मुझे मोबाईल पर बता दे !” मैंने भी नखरा दिखाया।
“इस मोबाईल से ?… ठीक है!” विनीता इतरा कर बोली।
विनीता ने मोबाईल लिया और मुझे फोन लगा दिया। मैं फोन की रिंग से चौंक गया। मैंने तुरन्त मोबाईल जेब से निकाला और कहा,”हेलो … कौन ?”
‘मैं विनीता …!”
मैंने विनीता की ओर देखा और तीनों ही हंस पड़े।
“तो मैंने मोबाईल कर दिया !” फिर मुझे मुस्करा कर तिरछी नजर से देख कर आंख मार दी।
“तो फिर आओ … आपकी इच्छा पहले !” मैंने विनीता को फिर से अपनी बाहों में उठा लिया और बिस्तर की ओर बढ़ चला।
“अंकल, इसके बाद मेरी गाण्ड चोदनी है, याद रखना !” स्नेहा ने मुझे याद दिलाया।
मैं पीछे मुड़ कर हंस दिया और उसे आँख मार कर मेरी सहायता करने का इशारा किया। स्नेहा हंसती मचलती हुई हम दोनों के पीछे खिंचती हुई चल पड़ी।
———–समाप्त———–
अब मैं खुश था और वो दोनों भी.. हम तीनो की जिंदगियां अब पूरी हो गयी थी. मुझे उम्मीद है ये widow sex kahani आपको पसंद आई हो..

Leave a Reply

Your email address will not be published.

buthu kathalu in teluguantervasna in hinditamilkamakathhaikalgudda dengudu kathalufree mallu kambi kadhamamiyar marumagan kamakathaikal in tamilbangla gud marar golpochudachudi golpo in bengalinew bengali sex story comsavita bhabhi marathi sex storyanna tho denginchukunna chellihindi sex stories .comakkavai karpalitha kathaigalകമ്പികഥകള് മലയാളംbengali chodachudir hot golpovadina sexschool me chudai ki kahanimasi chodar bangla golpoteluguse videosanterwasnastorytelugu pachi lanja kathalubengali real sex storysex stories pdf telugusexy malayalam kathakalhindi font sex kathatamil kamavetitamil school girl sex storychodai kahani hindi meindias sex storytamil stories xtelugu teacher student sex storieshindi sex story behan ki chudaisex telugu storiesbangala chotimararhi sex storiesadultsexstoriessex stories in telugu lotelugu indian sex storiesதமிழ் புண்டைகள்tamil sxe storiesindian sex stories\mausi ke saathmalayalam thundu kambi kathakalanrervasanabangala panu galpovadina puku lo moddakannada sex kathegalu pdfchuda chudir golpo banglasex stories hindimastram ki sex storiesbangla choti golpo ma cheleantavasnakannada kamakathegalu 2000www sex tamil storytamil dirty bookskannadakamkategalukamukta hindi sex khaniyatelugu boothu kathalu readx tamil storyonline malayalam kambi kadhahindi sex novelstamip sex storiestamil thagatha uravu sex storiesantarvasana story combangli chati golpomami chudai kahaninew tamil sex booknew telugu gay sex storiestamil samiyar sex storyaunty sex story comsamantha sex kathalufree telugu kathaluhot telugusexstories