उन दिनों में अपनी दीदी के साथ एक छोटे शहर में 4 रूम के एक सेपरेट फ्लेट में रहता था; अंकल उस्मान ख़ान हमारे पड़ोस में रहते है; हमारे फ्लेट के पीछे झाड़ी है तो लोग अक्सर वहाँ कूड़ा डालते है; अब उस्मान अंकल वहाँ पेशाब कर रहे थे और दीदी बालकनी से उनके मोटे लंड को देख रही थी; अब अंकल की नजर दीदी की चूचीयों पर थी; अब दीदी धीरे-धीरे मुस्कुरा रही थी; फिर उस्मान अंकल ने अपने लंड को हिलाया और दीदी की तरफ देखा तो दीदी शर्मा गयी; फिर में जॉब पर चला गया और फिर शाम को जब में वापस आया तो वो अंकल दीदी से बात कर रहे थे.
फिर मैंने दीदी से कहा कि में बहुत थक गया हूँ और टी;वी देखने जा रहा हूँ; फिर दीदी ने कहा कि ठीक है, तुम जाओ मुझे अंकल से कुछ बातें करनी है.
में अंदर चला गया और टी;वी ऑन किया; फिर में वापस से शाम को पढ़ने के लिए बैठा तो आधे घंटे के बाद मैंने अपने सामने वाले कमरे से जिसमें दीदी थी किसी को जाते हुए देखा; तो तभी में समझ गया कि अब जो कुछ भी होने जा रहा था, वो कुछ अलग था; फिर में बिना देर किए अपनी टेबल पर खड़ा हो गया और रोशनदान में लगे हुए कांच से जब मैंने दीदी के रूम में देखा.
मैंने पाया कि जैसे ही अंकल दीदी के रूम में अंदर गये तो उनको देखकर दीदी अपने बेड से उठकर अपने सिर पर अपने पल्लू को रखते हुए उनकी तरफ अपनी पीठ को करते हुए खड़ी हो गयी; अब अंकल दीदी के पास आ गये थे और दीदी से सटकर खड़े हो गये थे.
अब दीदी एक कदम आगे बढ़ गय तो अंकल ने दीदी की कमर के ऊपर अपना एक हाथ रखते हुए दीदी को अपनी तरफ खींच लिया; फिर अंकल ने दीदी के सिर से आँचल को हटाकर उसे जमीन पर गिरा दिया; अब दीदी लो-कट ब्लाउज पहने थी; अब मुझे उनकी नंगी गोरी कमर दिख रही थी; फिर अंकल ने दीदी की पीठ पर चुंबन लिया और दीदी के दाहिनी चूची को धीरे-धीरे दबाने लगे; अब पीछे से चूची दबाने के बाद अंकल ने दीदी के ब्लाउज के हुक को खोलना शुरू कर दिया था.
ब्लाउज के सारे बटन को खोलने के बाद ब्लाउज को उतारकर जमीन पर गिरा दिया और इसके बाद अंकल ने दीदी की साड़ी को भी धीरे-धीरे उतार दिया; अब दीदी के दोनों हाथों को अंकल ने अपने दोनों हाथों से दबा रखा था; फिर इसके बाद अंकल ने दीदी के पेटीकोट के नाड़े को एक ही झटके में खोल दिया; फिर दीदी का पेटीकोट सरककर जमीन पर जा गिरा; अब दीदी बिल्कुल ही नंगी खड़ी थी.
फिर इसके बाद मैंने देखा कि अंकल ने दीदी के कंधे के पास से बाल को हटाते हुए अपने होंठो को दीदी के कंधे और गर्दन के बीच में धीरे-धीरे रगड़ने लगे थे और दीदी की चूची को धीरे-धीरे दबाने के साथ ही अपने दूसरे हाथ से दीदी की चूत को सहलाने लगे थे.
जैसे ही अंकल ने दीदी की चूत को सहलाना शुरू किया, तो दीदी अपने आपको रोक नहीं पाई और घूमकर अंकल से लिपट गयी; अब अंकल ने दीदी को अपनी बाँहों में उठा लिया था और दीदी को ले जाकर बेड पर लेटा दिया था.
इसके बाद अंकल ने रूम के दरवाजे को धीरे से बंद कर दिया; फिर दरवाजा बंद करने के बाद जब अंकल दीदी के पास आए तो साथ में उन्होंने तेल के एक डिब्बे को भी ले लिया और उसे लेकर टेबल पर रख दिया; फिर अंकल ने दीदी की जाँघों को थोड़ा सा फैलाया, क्योंकि उस वक़्त तक दीदी की दोनों जाँघे बिल्कुल ही सटी हुई थी; अब मुझे दीदी की चूत पूरी तरह से दिख रही थी.
फिर अंकल ने डिब्बे से सरसों के तेल को निकाला और दीदी की चूत पर लगाते हुए जब दीदी की चूत को सहलाने लगे; फिर दीदी ने अंकल के लंड को उनकी लुंगी से बाहर निकाल दिया, जो कि अब 8 इंच लंबा था; अब दीदी भी उसे पकड़कर सहलाने लगी थी.
मैंने देखा कि दीदी और अंकल लगभग 1 मिनट तक ऐसे ही अपने काम को अंजाम देते रहे; फिर इसके बाद अंकल दीदी की जाँघ पर बैठ गये और दीदी की चूत पर अपने लंड को जैसे ही सटाया, तो दीदी ने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को फैला दिया; फिर अंकल ने दीदी की चूत में अपने लंड को ले जाने के लिए अपनी कमर को धीरे-धीरे सरकाना शुरू किया, तो दीदी ने अपनी सांसे खींचनी शुरू कर दी; फिर मैंने देखा कि अंकल ने दीदी की चूत में अपने लंड के टोपे को डाल दिया था.
अब अंकल दीदी के ऊपर लेट गये थे और अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया था; अब दीदी के मुँह से आआआहह की आवाज निकलने लगी थी; फिर कभी- कभी अंकल ज़ोर-ज़ोर के झटके लगाते तो दीदी पूरी तरह से हिल जाती थी; अब दीदी ने अपने हाथों को अंकल की पीठ पर रख लिया था और अंकल की पीठ को सहला रही थी.
अब अंकल दीदी के गालों को चूमने लगे थे और अपने दोनों हाथों से दीदी की दोनों चूचीयों को दबाने लगे थे; फिर दीदी भी मस्ती में आआअहह की अजीब ही आवाज निकाल रही थी; अब कुछ देर में ही अंकल ने अपने आधे लंड को दीदी की चूत में डाल दिया था; अब अंकल ने दीदी के पैरो को फोल्ड कर लिया था और दीदी की जाँघो को फैलाते हुए अपने आपको दीदी के दोनों पैरो के बीच में एडजस्ट किया, तो दीदी ने ऐसा करने में उनकी मदद की.
अंकल ने दीदी को फिर से झटके देने शुरू किए तो दीदी ने अपनी गर्दन को उठा-उठाकर आहें भरना शुरू कर दिया था; फिर अंकल ने दीदी से पूछा कि दर्द कर रहा है क्या? तो दीदी ने एक अजीब आवाज में कहराते हुए जबाब दिया नहींईईईईईई.
फिर कुछ देर के बाद अंकल ने दीदी के होंठो को अपने होंठो में दबा लिया और अपने लंड को दीदी की चूत में ज़ोर-ज़ोर से अंदर-बाहर अंदर-बाहर करने लगे; फिर ये सिलसिला पूरे आधे घंटे तक चला; फिर थोड़ी देर के बाद अंकल ने दीदी की कुंवारी चूत में अपना बीज गिरा दिया, तो तब जाकर वो दोनों शांत पड़े.
अंकल कुछ देर तक ऐसे ही दीदी के ऊपर लेटे रहे और फिर इसके बाद उठकर जब उन्होंने दीदी की चूत से अपने लंड को बाहर निकाला तो दीदी ने अपनी आँखें खोली और मुस्कुराते हुए अपने चेहरे को ढक लिया; फिर तभी अंकल हँसते हुए बोले कि अब चेहरा क्या ढकना है? और फिर उन्होंने दीदी के हाथों को उनके चेहरे से हटाते हुए पूछा कि मज़ा आया क्या?
दीदी ने अपना सिर हिलाते हुए जवाब दिया हाँ बहुत मज़ा आया; फिर अंकल दीदी के ऊपर से हट गये और फिर अंकल ने अपनी जेब में से एक गोली निकाली और दीदी को दी; तभी दीदी ने पूछा कि यह किस लिए है? तो अंकल ने कहा कि यह गर्भ निरोधक गोली है, तो दीदी ने गोली खा ली और अंकल चले गये.