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दोस्तों ये कहानी गुडगांव की एक विधवा भाभी की हे. वो पिछले चार साल से अकेली ही रह रही हे. उसका नाम शिल्पी हे और वो पंजाब की रहनेवाली हे वैसे. उसका फिगर 34-30-36 हे. उसके बदन को जैसे ऊपर वाले ने संगेमरमर के एक पत्थर से तरासा हुआ हे. मैंने अपनी सेक्स कहानी इस पोर्टल पर लिखी तो एक दिन इस भाभी का मुझे मेल आया. और उसका अंदाज़ काफी अलग था. उसने अपने मेल में मेरे से केवल मदद मांगी. उसने मुझे कहा की मैं पिछले कई सालो से अकेली हूँ और प्यासी भी. उसके पति की डेथ एक रोड एक्सीडेंट में हुई थी. शिल्पी भाभी एक एम्एसी में काम करती हे. भाभी ने मुझे कहा की पैसे की कोई टेंशन नहीं हे आप बस मुझे शरीर का सुख दीजिये मैं पैसे दे दूंगी. मैंने भाभी से कहा जी मैंने आजतक कभी भी पैसे के लिए सेक्स नहीं बेचा हे! मैं भी आप की तरह प्यार का ही भूखा हूँ! मैंने उसे कहा आप को भी मेरी जरूरत हे और शायद मैं भी आप जैसी औरतो के प्यार का ही भूखा हूँ.
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शिल्पी भाभी राजी हो गई और उसने मुझे कहा की सेटरडे की शाम को आप आ जाना. उसे मुझे अपना एड्रेस मेल कर दिया. और साथ में कोई दिक्कत न हो इसलिए अपने मोबाइल नम्बर को भी अंदर लिख दिया था उसने.
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शनिवार को शाम के सात बजे मैं उनके दिए हुए एड्रेस पर आ गया. मैंने उन्हें कॉल किया.
भाभी: हल्लो कौन?
मैंने अपना नाम बताया और बोला आप जो एड्रेस दिए थे वहां पर खड़ा हूँ. तो वो बोली एक मिनिट लाइन पे ही रहना मैं अभी आई. और वो अपने घर के दरवाजे को खोल के बहार आई. इधर उधर देख के वो बोली, तुम कहा हो?
मैंने अपना हाथ उठाया और मुझे देख के वो बोली, मैं तुम्हारे सामने ही खड़ी हूँ, तुम मेरे पीछे आ जाओ. ऐसा कह के वो निकल पड़ी अन्दर की तरफ. और मैं उसके पीछे पीछे चला गया. मैं तो उसके गांड को देख के ही मस्त हो गया था. घर के अन्दर गए तो मुझे बैठने को बोल के पानी ले आई. मैंने पानी पी लिया.
मैंने उसे कहा की हमारे पास टाइम बहुत कम हे और मुझे दस बजे निकलना हे. और मैंने उसे खुल के कह दिया देखें जो करना हे वो जल्दी जल्दी ही कर लेते हे हम लोग. वो हंसी तो मैंने कहा जी जान पहचान ऐसे हुआ तो अगली बार कर लेंगे अब की बार मेन काम कर लेते हे फटाफट. वो भी इसके लिए राजी हो गई. वो मेरे करीब आई तो मैंने उसका हाथ पकड़ के अपनी तरफ खिंच लिया. हम दोनों ने एक दुसरे को हग कर लिया और वो भी बड़ी जल्दी गर्म सी हो गई.
उसने मेरे कान में कहा, आप ही मेरे कपडे उतार दो ना! मैंने एक एक कर के इस विधवा भाभी के सब कपडे खोले और उन्हें नंगा कर दिया. वो एकदम मस्त माल लग रही थी मेरे सामने खड़ी हो. मैं मन ही मन अपनी किस्मत को धन्यवाद कर रहा था और मैंने उसे कहा आप बहुत ही खुबसूरत हो.
तो वो बोली की मेरी सुन्दरता आज से बस तेरी गुलाम हे! उसने फिर मुझे कहा आज मेरी पुराणी प्यास को तुम अपने लौड़े ससे भुजा दो. उसके मुह से लौड़ा सुन के अजीब लग रहा था! उसने आगे कहा, आज तूम मेरे ऊपर जरा भी दया मत रखा. मेरे आगे के और पीछे दोनों छेद को अपने लंड से भिगो देना. मैं चीखूँ या चिल्लाऊं पर तुम बस इन्हें चोदते रहना. मैं भी वो बोल रही थी तो उसे हलके हलके किस कर के उसकी भावना को और भड़का रहा था.
फिर मैंने उसे निचे बिस्तर पर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर आ गया. मैंने उसके बदन के एक एक हिस्से को अपनी जबान से प्यार दिया. वो मेरी गर्म जबान के स्पर्श से जैसे पागल हुई जा रही थी. मैं फिर अपनी जबान को उसकी चूत में डाल दी और उसे भी चूसने लगा. ये विधवा भाभी आह आह्ह्हह्ह अह्ह्ह्ह कर रही थी.
उसने मुझे, मेरा ज्यूस पी लोगे?
मैंने कहा क्यूँ नहीं जान ये तो अमृत हे इसे कोई क्यूँ छोड़ेंगा! पिला दो जान.
भाभी की चूत पर हल्ल्के छोटे बाल थे जिस से उसकी खूबसूरती में चार चाँद लग रहे थे. जब वो झड़ना शरु की तो वो पूरी दो मिनिट तक कंटिन्युअस झडती ही गई. जैसे की पानी का घडा फुट गया हो. मैंने उसकी चूत के स्साब ज्यूस को पी लिया. और फिर मैंने उसे कहा, डार्लिंग अब मेरे पानी निकालने की बारी हे.
ये कह के मैंने अपना लंड शिल्पी भाभी के मुहं में भर दिया. और मैं लौड़े के धक्के लगाने लगा उसके मुहं में. करीब बीस पच्चीस धक्को में ही मेरा पानी भी उसके मुहं में ही निकल गया. और ये विधवा भाभी ने सब कुछ चाट लिया. वो तो लंड के सुपाडे से निकलती हुई आखरी बूंद को भी अपनी जबान से चट कर गई.
और फिर हम दोनों खड़े हुए. शिल्पी ने कहा, कब करना हे! मैंने कहा अभी.
वो हंस पड़ी और मेरे सिकुड़ते हुए लंड को अपने हाथ में पकड़ के हिलाने लगी. उसके हेंडजॉब से लंड फटाक से खड़ा हो गया. उसने लंड को देख के कहा, मेरे स्वामी, मेरे प्यार, मेरे राजा जल्दी से मेरी बुर में इस लौड़े को भर दो न!
और फिर क्या था मैंने भी अपना लंड उसके चूत के मुहं पर रखा. और एक ही बार में पूरा लंड उसकी चूत में अन्दर कर दिया. और वो चिल्लाने लगी मादरचोद मार डाला, निकाल अपना लंड मुझे चुदना इस गधे जैसे लंड से! मेरी चूत फाड़ दी साले हरामी, मादरचोद! मैंने उसकी एक नहीं सुनी और जोर जोर के धक्के लगाने लगा, और वो तेजी से चिल्लाने और रोने लगी.
फिर मैंने उसकी चूत से अपना लंड बहार निकाला और उसे सोफे पकड़ के खड़ा कर औ एक पैर सोफे के ऊपर रखवा दिया. मैंने फिर से पीछे खड़े हो के एक ही झटके में अपना अंड उसकी चूत में डाल दिया. लेकिन जैसे ही लंड का धक्का लगाया वो निचे गिर गई और मुझे गन्दी गन्दी गालियाँ देने लगी.
मादरचोद रंडी की औलाद, साले भोसड़ी के इतने मोटे लंड से एक ही झटके में पेलता हे. भड्वें तेरी माँ का भोसडा मारूं चूत दुखा दी! साले जंगली की तरह नहीं बल्कि थोडा प्यार से चोद ना!
मैने उसके बाल पकड़ के कहा, साली मादरचोद छिनाल चल मेरा लंड चूस और उसे गिला कर. साली बहुत दिनों से कोई मर्द नहीं मिला हे इसलिए तेरी चूत पर चमड़ी के ताले लगे हुए हे आज मैं अपने लौड़े से सब ताके खोलूँगा तेरे भोसड़े और गांड के..
उसने लंड को मुहं में भर लिया. मैंने बाल की लट को पकडे हुए उसके मुहं को बड़ा ही हार्डकोर चोदा. उसके मुहं की साइड से बहुत सब थूंक निकल गया. उसका मुहं भी दुःख रहा था. पर मैं नहीं रुका. मैं उसके मुहं को लगातार चोदता ही गया.
फिर जब मैंने लंड को उसके मुहं से निकाला तो वो एकदम लाल हो गया था. शिल्पी भाभी को मैंने फिर से सोफे पर घोड़ी बनाया. वो बोली, रुको जरा.
ये कह के उसने अपने हाथ में थोड़ा थूंक लिया और मेरे लंड के सुपाडे को चिकना कर दिया. और फिर उसने अपने हाथ से ही लंड को चूत के मुहं पर लगाया और बोली, अब मारो धक्का.
उसके थूंक से और सही जगह की वजह से लंड फचाक के साउंड से उसके बुर में घुस गया. मैंने दोनों हाथों से उसकी गांड पकड़ ली. और मैं अपने लौड़े को जोर जोर से इस विधवा भाभी की बुर में ठोकने लगा. वो भी अपनी गांड को बड़े झटके दे के हिला रही थी. और मेरे लौड़े से चुदवा रही थी.
दोस्तों 10 बजे तक तो मैंने इस विधवा भाभी को 2 बार और चोदा और लास्ट में उसकी गांड भी मारी. वो निढाल हो गई थी जब मैं कपडे पहन के उसके घर से निकला. वो बोली, पैसे चाहिए तो ले लो!